याकूब मेमन की फांसी का जिन धर्मों के जो भी लोग विरोध कर रहे हैं वो लोग भारत को एक मुश्किल दौर की ओर ले जा रहे हैं... अगर ऐसे ही आतंक से नाता रखने वाले लोगों के समर्थन में भीड़ जमा होने लगी तो वो दिन दूर नहीँ जब इस देश के कोने-कोने में धामाके होंगे और वो निर्दोष लोग मारे जायेंगे जो घर का राशन खरीदने बाज़ारों में गये होंगे. कुछ राजनीतिज्ञ इस समाज में नफरत की मशाल लेकर घूम रहे हैं तो कुछ पैसों के लालची इस देश की हवाओं में ज़हर घोल रहे हैं. असल में इन्हें कुछ फर्क नहीँ पड़ता की फांसी किसे हो रही है और कौन लोग मारे जा रहे हैं, इनका काम सिर्फ नफरत फैलाना है. दरअसल हमारे देश के कुछ चंद वो लोग जो इस समय हम सभी के नेता बने हैं वो वोट बैंक बढ़ाने के लिये इस समाझ के अंदर ऐसी बाते पहुँचा रहे हैं जिनसे लोगों में असुरक्षा की भावना पैदा हो रही है और लोग आतंकियों के जनाजे में शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं. सरकारें चाह कर भी कुछ नहीँ कर सकती कियूकि अगली बार उन्हें फिर से सत्ता का सुख चाहिये. वकील पैसों के लिये रात को देश के सर्वोच्च न्यायालय को खुलवादेते हैं कियूकि उन्हें कानूनी दावपेंच मालूम हैं. न्यूज़ चैनल पूरी रात देश को ये बताती रहती है की ये अनर्थ हो रहा है और रात के ढाई तीन बजे उठी हुई जनता सोई हुई जनता को उठाकर कलयुग के इस काले इतिहास का गवाह बनने को कह रही है, इस देश की 70 फीसदी जनता रात को इसलिए जल्दी सो जाती है कियूकि उसे सुबह जल्दी उठकर काम पर जाना होता है. जो लोग काम पर जा रहे होते हैं उनमें वो भी लोग शामिल होते हैं जो अभी बहकावे में आकर आतंकी की मौत पर शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं और जब अगलीबार देश के कोने कोने मैं बम फटैंगे तो में यकीन के साथ कह सकता हूं की उसमें वो लोग भी मारे जायेंगे जो अभी बहकावे में आकर शक्ति प्रदर्शन में शामिल हैं..l
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