Thursday, August 30, 2018

आज की बड़ी खबरें

जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले आर्टिकल 35A पर सुप्रीम कोर्ट में आज अहम सुनवाई, घाटी में आज भी बंद का आह्वान

बिम्स्टेक शिखर सम्मेलन का आज दूसरा दिन, पीएम मोदी सदस्य देशों के नेताओं संग करेंगे बैठक, पशुपतिनाथ धर्मशाला का करेंगे उद्धघाटन

आज कैलाश मानसरोवर यात्रा पर रवाना होंगे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, लोकसभा चुनाव के को देख  टाइमिंग को लेकर उठ रहे हैं सवाल, विपक्षी दलों ने यात्रा को बताया पब्लिसिटी स्टंट, धार्मिक से ज्यादा राजनीतिक हुई यात्रा

IRCTC घोटाले को लेकर मुश्किल में लालू परिवार, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव की पटियाला हाउस कोर्ट में पेशी आज, तेजस्वी यादव को बेल मिलेगी या जेल?

सेना और पुलिस के तालमेल से घबराए आतंकी-जम्मू-कश्मीर में आतंकियों ने 8 लोगों को किया अगवा, अगवा किए गए लोग पुलिसवालों के परिजन

इलाहाबाद के मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में  सामने आया रैगिंग का मामला, मुंडवाए गए छात्रों के सिर,  डीएम ने दिए जांच के आदेश

आम लोगों पर फिर पड़ी महंगाई की मार, डीजल की कीमत में रिकॉर्ड बढ़ोतरी, दिल्ली में 70 रुपये के पार पहुंचा डीजल, तो पेट्रोल 78.52 रुपये लीटर

एशियन गेम में भारतीय खिलाड़ियों का जलवा बरकरार, आज हॉकी में गोल्ड की उम्मीद तो बॉक्सिंग में अमित-विकास पर रहेंगी नजरें, भारत के खाते में अबतक कुल 15 स्वर्ण पद

चौथे टेस्ट मैच के पहले दिन टीम इंडिया ने इंग्लैंड को 246 रनों पर किया ढेर, बुमराह ने झटके तीन विकेट, भारत ने की सधी शुरुआत


Sunday, December 3, 2017

राष्ट्र की रक्षक "भारतीय नौ सेना" के स्थापना दिवस की राष्ट्रवादियों को शुभकामनाएं

Wednesday, January 11, 2017

ऐसे होगी पंजाब की सफाई?



राजधानी दिल्ली कूड़े के ढ़ेर में है और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पंजाब की सफाई करने के मिशन पर हैं. कैसे मुमकिन हो पाएगा ये?... दिल्ली में सफाईकर्मी बार बार सड़क पर आ जाते हैं, लेकिन जनता के नुमाइंदे इस पर भी  राजनीति करने लगते हैं। केजरीवाल 5 दिनों के लिए पंजाब दौरे पर हैं तो दिल्ली में सफाई कर्मचारी केजरीवाल के विधायकों के घरों के बाहर कूड़ा फैक रहे हैं... उधर आप की पूरी टीम इसके लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहरा रही है.. कोई कुछ भी कहे लेकिन दिल्ली वाले करे तो क्या करे.?.. क्या वो कूड़े के ढेर को ही अपनी किस्मत समझ नाक पर हाथ रख कर दिन भर घूमते रहे या फिर केजरीवाल दिल्ली की सफाई की ओर भी ध्यान देंगे...इस समय तो हाल ये है कि दिल्ली में जगह जगह लगे कूड़े के ढेरों से आती बदबू से दिल्ली उड़ रही है.


Wednesday, November 30, 2016

राजीव दीक्षित की मौत के पीछे साजिश?



Journalist Indian: राजीव दीक्षित की मृत्यु कैसे हुई इस पर अब भी कोई खुलकर न ही कह पाता है न ही किसी को पता है. क्या उस समय के तथाकथिक विदेशी ताकतों या राजनेताओं ने कुछ भी सामने नहीं आने दिया था? और न ही किसी मीडिया चैनल ने सही से दिखाया था. राजीव दीक्षित का नाम जेहन में आते ही एक स्वदेशी को बढ़ावा देने वाले वैज्ञानिक और प्रखर राष्ट्रवादी वक्ता की छवि आंखों के सामने आ जाती है. इसे संयोग कहें या बिडम्बना 30 नवंबर को ही राजीव जी का जन्म हुआ था और 30 नवंबर के दिन ही वो काल के गाल में समा गये थे. लेकिन राजीव दीक्षित की मृत्यू आज तक भी रहस्य बनी हुई है. भिलाई में भारत स्वाभिमान यात्रा के दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ा जिससे 30 नवम्बर 2010 को उनकी रहस्यमय मौत हो गई. उनकी मृत्यु की वजह दिल का दौरा बताया जाता रहा है, जो सत्य नहीं लगता क्योंकि उनका एक व्याख्यान तो इस पर ही था कि बिना डॉक्टर और बिना दवा के स्वस्थ कैसे रहें. राजीव दीक्षित की मृत्यु को शुरु से ही बड़ी साजिश बताया जाता रहा है. क्योंकि उनके व्याख्यान लोगों को स्वदेशी बना रहे थे जो विदेशी कंपनियों और देशद्रोहियों को सहन नहीं हो रहा था. ये अत्यंत गंभीर मामला है. लेकिन राजीव दीक्षित की मौत आज भी एक रहस्य है. राजीव दीक्षित की अचनक मौत हो जोना और उनका पोस्टमार्टम भी नही होना किसी गहरे साजिश की ओर इसारा करती है. जैसे मृत्यु के बाद राजीव दीक्षित के होठ गहरे नीले और शरीर का हल्का नीला पड़ना, मीडिया का मौन व्रत धारण करना एक दो चैनेलों के आलावा कोई भी मुख्य चैनलों ने राजीव दीक्षित की मृत्यु का समाचार प्रसारित नहीं किया. राजीव दीक्षित की मृत्यु के कुछ वीडियो यूट्यूब पर देखे जिन्हें देखकर ये लगता है कि उनकी मौत एक साजिश थी. कुछ वीडियो में साफ-साफ दिख रहा है कि राजीव दीक्षित का शरीर कैसे काला पड़ गया है. सिर्फ यही एक वजह नहीं है राजीव दीक्षित की मृत्यु को हत्या कहने की कई और भी वजहें हैं जिनसे पर्दा उठना अभी बाकी है. राजीव दीक्षित की मौत के बाद उनका पोस्टमार्टम भी नही किया गया था. जबकि एसी मौतों में हमेसा पोस्टमार्टम किया जाता है....यहां पर  सबसे बड़ा सवाल ये भी उठता है कि अगर राजीव दीक्षित की मौत हुई थी तो किस वजह से हुई थी.? इस पर सोचने पर लाल बहादुर शास्त्री जी की मृत्यु की याद आती है दोनों की मृत्यु के लक्षण बहुत मिलते जुलते हैं. अगर ये एक सामान्य मौत न होकर एक हत्या है तो इस राज से पर्दा जरुर उठना चाहिए?

Tuesday, January 19, 2016

बेघर स्वर्ग के बाशिंदे

बेघर स्वर्ग के बाशिंद
भारत में जिसे स्वर्ग की उपाधि प्राप्त है, वो कश्मीर भारत की आज़ादी के बाद से ही पाकिस्तान की धूर्तता का गढ़ बना रहा । जवाहरलाल नेहरू की एक गलती का फायदा उठा कर पाकिस्तान हमेशा कश्मीर को अपनी जागीर समझता रहा है। कश्मीर को कब्जाने के लिए 1947 से ही वो इस प्रयास में रहा कि कैसे कश्मीर को मुस्लिम बहुल राज्य़ किया जाए। इसी क्रम में वहां आतंक के बल पर कश्मीर की हिंदू आबादी को कश्मीर से बाहर खदेड़ दिया। आज लाखों की तादाद में कश्मीरी पंडित अपने घरों से बेदख़ल हैं. ये विस्थापित कश्मीरी पंडित जो अपने ही देश में स्वंय को शरणार्थी कहना ज़्यादा सही समझते हैं, भारत भर में ही नहीं विदेशों में भी फैले हुए हैं. इनकी आंखों में पिछले 27 सालों से अपनी धरती से उजड़ने का गम आंसू बन कर लगातार गिर रहा है। दर-बदर करने वाले आतंकियों के खिलाफ इनके मन में बेहद रोष है। इन पर कैसे-कैसे जुल्म ढाए गए हैं, उसकी तस्वीर आज भी इन्हें रातों में सोने नहीं देती। कैसे इनके घरों को जलाया गया, कैसे इन्हें रोज़ हथियारों का खौफ दिखा कर घाटी छोड़ देने की धमकी दी जाती थी। कश्मीरी पंडितों का मानना है कि आतंकवादियों ने वादी में जेहाद के नाम पर पाक की कश्मीर कब्जाने की अपनी मंशा को चढ़ाने के लिए उन्हें जबरदस्ती कश्मीर से निकाला है। भारत में जहाँ भगवान् श्री राम को भी 14 साल के वनवास के बाद घर वापसी का सौभाग्य प्राप्त हो गया था, उसी देश में कश्मीरी पंडितों को अपने घर कश्मीर को छोड़े हुए 27 साल बीत गए लेकिन घर वापसी की राह अभी भी अंधकारमय है । लगभग 7 लाख से ज्यादा कश्मीरी परिवार भारत के विभिन्न हिस्सों व् रिफ्यूजी कैम्प में शरणार्थियों की तरह जीवन बिताने को मजबूर है।

कश्मीरी पंडितों को जिस प्रकार एक व्यापक साजिश के तहत कश्मीर छोड़ने पर विवश होना पड़ा था, ये जग जाहिर है। आतंकी इस बात को अच्छी तरह समझते थे कि जब तक कश्मीरी पंडित कश्मीर में है, तब तक वो अपने इरादों में कामयाब नहीं हो पायेगें। इसलिए सबसे पहले इन्हें निशाना बनाया गया। 90 के दशक में आईएसआई नें एक व्यापक साजिश के तहत कश्मीरी पंडितों को कश्मीर से बाहर निकालने का षड्यंत रचा। उनका मानना था कि यदि एक बार ये कश्मीर से पंडित बाहर निकल जायें तो फिर कश्मीर पर कब्जा आसान हो जायेगा। कश्मीरी पंडित घाटी में भारतीय पक्ष के सबसे मजबूत स्तंभ माने जाते थे। शेख अब्दुल्ला ने अपनी आत्मकथा आतिश-ए-चिनार में इन्हें दिल्ली के पांचवें स्तंभकार और जासूस कहकर संबोधित किया था। पंडित समुदाय के प्रमुख सदस्यों का विशेषतौर पर नरसंहार किया गया। आखिरकार अपने जान बचाने के लिए कश्मीरी पंडितों को अपनी जन्म भूमि को छोड़कर शरणार्थियों की तरह जीवन बिताने के लिए मजबूर होना पड़ा। कश्मीर की धरती पर जितना हक मुसलमानों का है, उतना ही हक इन कश्मीरी पंडितों का भी है, और कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत का जो सपना सरदार पटेल ने देखा था, उसमें तब तक कमी रहेगी जब तक पीओके समेत पूरा कश्मीर भारत के दूसरे राज्यों जैसा स्वतंत्र नहीं होगा। जब तक कश्मीरी पंडितों को दोबारा उनकी जन्मभूमि पर रहने का अधिकार नहीं मिलेगा.

Sunday, January 17, 2016

मालदा का सच.

मालदा का सच.
क्या दंगे सांप्रदायिक होते हैं!
मुज़फ्फरनगर, बरेली, हाजीपुर , दौसा, असम( डिब्रुगढ़), और मालदा ये भारत के वो शहर हैं जिन्हें दंगों की आग में झोंक दिया गया. 125 करोड़ की जनसंख्या वाले देश में 20 करोड़ की आवादी वाले मुस्लिम समाज में नफरत की मसाल लेकर घूमने वाले मक्कारों ने न जाने कितनों के घर जला दिए. और इन्हें साम्प्रदायिकता का नाम दे दिया गया.  क्या हम कभी ये सोचने का प्रयास करते हैं कि जिसे सांप्रदायिक दंगों का नाम दिया जाता है उनके पीछे की सचाई असल में क्या है? क्या मुजफ्फरनगर दंगा सांप्रदायिक था या फिर बरेली, दौसा, मालदा के दंगे सांप्रदायिक थे. मालदा में जो कुछ हुआ उसके पीछे की कहानी भी कुछ ऐसी है. दरअसल पश्चिमी बंगाल के मालदा जिले में थाने में रखे गए रिकॉर्ड को जलाने के लिए एक साजिश रची गयी और मुस्लिम समुदाई को इस्लाम और पैगम्बर के नाम पर भड़काया गया. एक लंबी प्लानिंग कर तकरीबन 2 लाख मुस्लिमों को सड़कों पर उतारा गया और फिर कलियाचक थाने में आग लगा दी गयी,  जिससे  कि मालदा से सटे बांग्लादेश से होने वाली अवैध तस्करी से जुड़े रिकार्ड को जलाया जा सके. सोचो कितनी गहरी साजिश रची गयी होगी. वो लोग कितने शातिर शैतान होंगे. जिन्होंने इतनी गहरी साजिश रचकर देश में नफरत फ़ैलाने का काम किया. ममता सरकार इसलिए चुप है क्योंकि उसे आने वाले चुनाओं में मुस्लिम वोट चाहिए. बीजेपी रैली करना चाहती है लेकिन उसपर रोक है. ममता को डर है कि बीजेपी रैली की आड़ में साम्प्रदायिकता का माहौल पैदा कर ममता के लिए मुश्किल न कर दे. पीड़ित जनता की कोई सुनवाई नहीं हो रही है, राजनीतिक पंडित इसे बीजेपी की साजिश बता रहे हैँ. लेकिन स्थानीय लोगोँ से बातचीत के बात ये पता चलता है कि सांप्रदायिक तनाव जैसी कोई बात थी ही नहीं, मुस्लिम बहूल वाले कलियाचक में हिन्दू और मुस्लमान बरसों से आपसी सौहार्द के साथ रहते हैं. दंगे वाली जगह पर कलियाचक थाने के बगल में स्थित मंदिर और मंदिर के पुजारी दोनों सुरक्षित हैं, जबकि मुजफ्फर नगर में राजनीतिक साजिश के तहत दोनों समुदायों को एक दूसरे के खून का प्यासा बना दिया गया था. ऐसे में सवाल ये उठाना लाजमी है कि क्या लाखों की भीड़ सिर्फ थाना जलाने के लिए जमा की गई थी.  हो सकता है कि आने वाले चुनाओं में कोई अफीम माफ़िया चुनाव लड़ना चाहता हो और कलियाचक थाने में उसके काले कामों की लिस्ट को मिटाने के लिए ऐसी साजिश रची गयी हो. अब सवाल वही खड़ा होता है जहां से हमने शुरूआत की थी कि असल में दंगे सांप्रदायिक होते हैं? या उन्हें सांप्रदायिक बनाया जाता है !

Sunday, January 10, 2016

मौलवी ने लाईव प्रोग्राम में दी गला काटने की धमकी.

मौलवी ने लाईव प्रोग्राम में दी गला काटने की धमकी.

...सुदर्शन न्यूज़ पर प्रसारित हुए कार्यक्रम देश बड़ा या धर्म में मुसलामनों को रिप्रजेंट कर रहे मौलवी मुक्ती एजाज की धमकी की चौतरफा आलोचना हो रही है. मौलवी मुफ्ती एजाज ने सुदर्शन न्यूज़ के स्टूडियों में धमकी दी थी कि जो भी उनके धर्म के खिलाफ बोलेगा वो उसका गला काट देंगे. दरअसल पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में निकाले गए मुस्लिमों की रैली में हिंसक झड़पों को लेकर प्रोग्राम रखा गया था. और इस प्रोग्राम में मौलवी मुफ्ती एजाज मुसलामनों के रिप्रजेंटेटर के तौर पर आए थे. वो डिवेट में बात-बात पर भड़क रहे थे.. लेकिन हद तो तब हो गइ जब मुफ्ती एजाज ने कुछ ऐसा कह दिया जिसकी उनसे अपेक्षा नहीं की जा रही थी. बात यहीं खत्म नही हुई, मुफ्ती एजाज उस प्रोग्राम के एंकर तक को धमकाने लगे. मुफ्ती एजाज के ऐसे बयान और बर्ताव का चौतरफा विरोध हो रहा है...उधर बीजेपी के नेता सुब्रहमण्यम स्वामी ने भी ऐसे बयानों की निंदा करते हुए कहा कि ऐसे बयान देश के लिए घातक हैं. दरअसल पश्चिम बंगाल में रविवार को अचानक करीब 2.5 लाख मुसलमान नेशनल हाइवे नंबर 34 पर उतर आए और हिंसा फैलाने लगे. देखते ही देखते भीड़ ने करीब दो दर्जन गाडि़यों में आग लगा दी और मालदा जिले के कालियाचक पुलिस स्टेरशन पर हमला कर दिया। इस हिंसा की जड़ उत्तरप्रदेश के सपा नेता आजमखान के जुबान में है.. उन्होंने ही पहले कुछ ऐसा बयान दिया था जिसके चलते महौल असहिष्णु हुआ... एक ओर देश में असहिष्णुता को लेकर माहौल गरम है और उसके बाद ऐसी हिंसा और फिर बयान देने वाले लोग कहां तक सहिष्णु हैं...इन सभी घटनाओं के बीच वो लोग भी सोए हैं जो पिछले दिनों अवार्ड लौटाने का रोना रो रहे थे..अब मैं उन सूपरस्टारों से भी सवाल पूछ रहा हूं जिनके बच्चे अखबार पड़ने से भी डरते हैं क्या अब ऐसी खबरों से उन्हें असहिष्णु माहौल नही दिखता.? सवाल ये भी कि आखिर असहिष्णु है कौन?