Saturday, January 9, 2016

राम नाम का विरोध क्यों...?

राम नाम का विरोध क्यों...?

   कहते हैं राम नाम सत्य है, मगर वो नाम जो सत्य है उस पर शायद कलयुग का प्रकोप पड़ गया है। आज हिंदू बहुल राष्ट्र में ही अपने इष्ट देव का विरोध हो रहा है...कहा जा रहा है कि वैसे तो इस देश की संस्कृति के पुनरुत्थान के लिए राम मंदिर बनना जरूरी है... लेकिन उस राम नाम पर आज राजनीति हो रही है...आखिर भगवान राम के नाम पर संग्राम क्यों हो रहा है... इस समय सबसे बड़ा सवाल यही बना है... क्या वो लोग जो दिल्ली विश्वविद्धायलय में राम पर हो रहे सेमिनार का विरोध कर रहे हैं वो भगवान श्रीराम को नही मानते या फिर इस विरोध के पीछे की कहानी कहीं और से लिखी जा रही है... दरअसल दिल्ली यूनिवर्सिटी के आर्ट फैकल्टी में एबीवीपी ने बीजेपी नेता सुब्रहमण्यम स्वामी की आगुआइ में दो दिन का कार्यक्रम रखा... राम जन्मभूमि उभरता परिदृश्य नाम के इस कार्यक्रम का मकसद भगवान राम पर चर्चा करना है... अंदर देश भर से आए हुए इतिहासकार भगवान राम का नाम जप रहे थे लेकिन बाहर इस सैमिनार का विरोध हो रहा था... दो दिन चलने वाले इस कार्यक्रम में 50 रिसर्च पेपर पेश किए जाने हैं.. और इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर चर्चा करना है...लेकिन विरोधियों ने बाहर हंगामा करना शुरु कर दिया... विरोध करने वाले छात्र संगठनों में एनएसयूआई, आइसा, सीवाईएसएस, एसएफआईओ...छात्र संगठन शामिल थे... ऐसे में विरोधियों पर सवाल उठने शुरु हो गए हैं.. कहा जा रहा है कि छात्र महज एक मोहरा हैं इसके पीछे की कहानी कहीं और ही लिखी जा रही है... क्योंकि ये छात्र संगठन कांग्रेस और आमआदमी जैसे पार्टियों से जुड़े हैं... सैमिनार का विरोध कर रहे छात्र संगठनों का कहना है कि सैमिनार के जरिए कैंपस का माहौल खराब किया जा रहा है लेकिन सैमिनार का आयोजन करने वाली संस्था अरुंधती वशिष्ठ अनुसंधान का कहना है कि सैमिनार में ऐसी कोई भी बात नहीं कही गई है जिससे माहौल खराब हो... उधर सैमिनार की शुरुआत बीजेपी नेता सुब्हमणयम स्वामी के भाषणों से हुई... स्वामी को पूरा यकीन है कि राम मंदिर का काम इस साल शुरू होकर ही रहेगा स्वामी बोले मैंने आपसे कहा था कि 2जी घोटाले में राजा जेल जाएंगे, वो गए. मैंने सेतुसमुद्रम के बारे में जो कहा था, हुआ. मैंने नेशनल हेराल्ड केस के लिए कुछ कहा है, वो भी होगा. अब मैं राम मंदिर के बारे में कह रहा हूं. ये भी बनेगा... वहीं संघ विचारक राकेश सिन्हा ने कहा है कि सेमिनार के खिलाफ हो रहा विरोध फासीवादी है...और विश्व विद्लाय में सेमिनार करना गलत कैसे हो सकता है....यहां ये भी गौर करने वाली बात है कि बाटला हाउस एनकांउंटर में एक आरोपी को बुला कर इसी दिल्ली विश्वविद्यालय में ये चर्चा कराई गई थी कि बाटला में मारे गए आतंकी आम शरीफ लोग थे, और पुलिस के शहीद जवानों ने फर्जी एनकांउटर किया था। अब ये सवाल उठता है कि भारत की एक युनीवर्सिटी में राम के नाम पर चर्चा करना गलत है या बाटला हाउस के आतंकवादियों को शरीफ साबित करने पर चर्चा करना गलत है। सोचिए क्या ये असिष्णुता नहीं है...हैदराबाद के एक युनीवर्सिटी में बीफ पार्टी होती है उसपर कोई नहीं बोलता.. देश किस दिशा में जा रहा है...


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